पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी सजीव प्राणियों का शारीर छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। कई सूक्ष्म-जीव जैसे बैक्टीरिया, यीस्ट, आदि एक-कोशिकीय जीव हैं। अधिक जटिल और उच्च श्रेणी के जीव, जैसे पेड़- पौधे, कीट- पतंगे, पशु-पक्षी और मनुष्यों का शरीर बहुत सारी छोटी कोशिकाओं से बना होता है जो एक साथ मिल कर काम करती हैं। सभी सजीव कोशिकाओं में अनुवांशिक पदार्थ जीनोम होता है जो लम्बे और बहुत पतले बहुलक अणु, डीएनए से बना होता है। एक कोशिका के अन्दर डीएनए कई प्रोटीन अणुओं के साथ बंध कर एक या अधिक गुणसूत्रों का निर्माण करते हैं। अधिक जटिल कोशिकाए जिन्हें ‘सुकेन्द्रिक (यूकैरियोटिक)’ कोशिकाए कहते हैं, उनमें गुणसूत्र कोशिका के अन्दर एक सघन रचना ‘केन्द्रक’ में संगठित रहते हैं।
गुणसूत्र वास्तव में जीन (अनुवांशिकता की इकाई) की एक श्रंखला होती है जो एक दुसरे से मोतियों की माला की तरह गुथी होती हैं। हर एक जीन डीएनए का एक खंड होता है और ये सभी जीन कोशिका के भीतर जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार की प्रोटीनों के संगठन को निर्देशित करते हैं। प्रोटीन भी बहुलक अणु होते हैं। प्रोटीन एमिनो अम्ल (एमिनो एसिड) अणुओं की एक लम्बी शृंखला होती है। प्रोटीन २० तरह के एमिनो अम्लों से मिलकर बना होता है। ये एक दुसरे से विभिन्न संमिश्रण तथा विभिन्न लम्बाई की श्रृंखला में मिलकर, बहुत अधिक संख्या में विभिन्न प्रकार तथा गुणों की प्रोटीन बनाते हैं। कुछ प्रोटीन यांत्रिक संरचानाये, जैसे मांस- पेशियाँ बनती हैं और कुछ भिन्न तरह के प्रोटीन्स जैसे किण्वक (एंजाइम), कोशिका के जीवन के लिए आवश्यक रासायनिक क्रियाओं को गति तथा निर्देश प्रदान करती हैं। ये रासायनिक क्रियाये उपापचय (मेटाबोलिज्म) कहलाती हैं इसमें भोजन से प्राप्त होने वाले अनेक रसायन जैसे शर्करा, प्रोटीन, वसा से ऊर्जा का निर्माण होता है।
रोगों के नवारण के लिए उपयोगी औषधियों का लक्ष्य कोशिकाओं की प्रोटीनें ही होती हैं। ज्यादातर औषधियां कोशिकाओं के जीन से बनाने वाली एक या अनेक प्रोटीनों को बदलने के लिए रासायनिक सन्देश वाहक का काम करतीं हैं। कुछ मामलों में औषधियाँ स्वयं भी एक प्रोटीन होतीं हैं उदाहरण के लिए इन्सुलिन (मधुमेह निवारक औषधि)। हमारा शरीर रोगों से लड़ने के लिए जो रोगप्रतिकारक (एंटीबाडी) बनता है वह भी एक प्रकार का प्रोटीन ही होता है।
एक जीव के भीतर पाये जाने वाली प्रत्येक कोशिका में एक ही प्रकार का जीनोम (सभी जीन जो विभिन्न प्रकार के प्रोटीन बनाते हैं) पाया जाता है। फिर भी प्रत्येक कोशिकाओं में या एक ही कोशिका में एक समय में सभी जीन सक्रिय नहीं होते हैं। जीन के सक्रीय होने को इनकी अभिव्यक्ति(एक्सप्रेशन) कहते हैं, उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार की प्रोटीन केवल मस्तिष्क की कोशिकाओं में ही बनते हैं जबकि वह ही प्रोटीन त्वचा की कोशिकाओं में नहीं बनते हैं। कुछ प्रोटीन कोशिका के विभाजन के समय की बनते हैं अन्य समय में नहीं। इसे ‘जीन नियंत्रण’ कहते हैं यह एक अत्यधिक जटिल और विभिन्न प्रकार के तरीकों से होने वाली प्रक्रिया होती है। जब एक जीन सक्रिय होता है तब वह प्रोटीन बनाता है। कोशिकाओं का प्रकार, आकर और व्यवहार, विभिन्न मात्र और क्रम में हजारों जीन की अभिव्यक्ति पर निर्भर करता है। एक विशेष प्रकार की कोशिका में किसी जीन का अभिव्यक्ति होना, समय और विभिन्न वातावरण के संदेशों पर निर्भर करता है, उधाहरण के लिए शरीर में पाया जाने वाले हार्मोन, आतंरिक रसायनिक सन्देश वाहक होते हैं तनाव, बाहरी सन्देश होते हैं।
जो जीन प्रोटीन बनाने में असफल होते हैं या गलत प्रोटीन का निर्माण करते हैं वे क्षतिग्रस्त जीन कहलाते हैं और जीन क्षति की इस प्रक्रिया को जीन उत्परिवर्तन या म्युटेशन कहते हैं। एक या अनेक जीन की क्षति के कारण कई प्रकार के रोग जैसे कैंसर और अन्य रोग होते हैं। इस प्रकार का जीन उत्परिवर्तन वातावरण में पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थों, धूम्रपान या कई प्रकार की विकिरण किरणों के प्रभाव से होता हैं।
हमारा शोध कार्य ‘मानव कोशिका में कैसे जीन अभिव्यक्ति का नियंत्रण होता है’ इसका अध्ययन करना है। हम कुछ सरल जीवों की कोशिकाओं पर भी अध्यन करेंगे जैसे सुत्रक्रिमी या गोलकृमि क्योंकि ये कोशिकाएं कुछ प्रयोगों को सरल बनाने में हमारी सहायता करते हैं। हम कोशिका की प्रोटीन का पता लगाने और और उसका घटना या बढ़ना मापने के लिए कई प्रकार के तकनीक का उपयोग करते हैं, इस पद्धति को ‘प्रोटीओमिक्स’ कहते हैं। कोशिका की कौन सी प्रोटीन स्वस्थ कोशिका में और कौन सी प्रोटीन कैंसर कोशिका में बनती है और कौन-कौन से कारक उनके उत्पादन और उनकी गतिविधियों को प्रभावित करते हैं इन विषयों पर भी हम अध्ययन करते हैं। हम आधुनिक जटिल सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) की सहायता से मनुष्य और सुत्रक्रिमी की कोशिकाओं में औषधियों और अन्य सन्देशों के प्रभाव से होने वाले परिवर्तन, विभाजन, और समय के साथ होने वाले परिवर्तन का अध्यन करते हैं। हम जटिल स्पक्ट्रोस्कोप और सूक्ष्मदर्शी की सहायता से यह ज्ञात करते हैं की कैसे कोई प्रोटीन कोशिका के भीतर विभिन्न भागों में व्यवस्थित होती है। इन सभी तरह के प्रयोगों से काफी आंकड़े मिलते हैं जिसको हम संगृहीत करते हैं और विश्लेषण करते हैं। हम कई प्रकार के अत्याधुनिक विकसित कंप्यूटर और नवीनतम सॉफ्टवेयर की सहायता से अत्यधिक आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं और अन्य लोगो से साझा करते हैं।
हम अपने शोधकार्य को वैज्ञानिक प्रकाशन, इन्टरनेट के विभिन्न डेटाबेस या अध्ययन गोष्ठियों में लेक्चर माध्यम से अन्य वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रस्तुत करते हैं।
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